निजी महिला व्यक्तिगत ट्रेनर- महिलाओ के लिए एक बड़ी सफलता
यह बिल्कुल सत्य कथन है कि यदि “आप एक महिला को सशक्त बनाते हैं तो आप समाज को सशक्त बनाते हैं” चाहे फिर बात करें शिक्षा के क्षेत्र में या फिर खुद को स्वास्थ्य एवं फिट रखने के क्षेत्र में
यद्यपि हम महिलाओ के सशक्तिकरण के बारे में बार-बार चर्चा करते हैं और नारीवाद के बारे में सोशल मीडिया पर हर रोज़ बोलते हैं, सुनते हैं, एवं अपने विचार भी रखते हैं। भारत में महिलाओं को कुपोषण, मातृ स्वस्थ्य में विकार, एड्स, स्तन कैंसर, पी सी ओ डी, थाइरोइड एवं दूसरी अन्य मानसिक और शारीरिक बीमारिया एवं समस्याओं का सामना करना पड़ता है। भारतीय महिलाओ की यह खासियत की चाहे विवाह से पहले हो या विवाह के बाद वह कभी भी अपने कर्तव्यों एवं परिवार के प्रति ईमानदारी एवं कर्मठता से सभी कार्यो को सजकता से निभाती हैं और अक्सर इन्ही सब कर्तव्यों एवं व्यस्त जीवनशैली की वजह से अपने स्वस्थ्य को लेकर इतना ध्यान एवं सजग नहीं रह पाती हैं। जबकि ऐसा कहा और माना भी जाता है की धरती पर अगर कोई सबसे ज्यादा कष्ट झेलकर भी ज़िंदगी को चुनौती दे सकने वाली एक महिला ही है।
ऐसा देखा गया है कि बदलते हुए वक़्त एवं समाज ने इस बात को स्वीकारा है की महिलाओ को भी हक़ है अपने लिए ज़िंदगी के उचित अवसर चुनने का परन्तु स्वस्थ्य की और ध्यान न देने वाली महिलाओं के लिए एक प्रमुख समस्या यह है किशारीरिक गतिविधियों के लिए सुविधाजनक स्त्रोतों का अभाव।भारतीय महिलायें अक्सर इस दुविधा में या फिर कहा जाये इस समस्या में रहती है कि वह जिम, एवं फिटनेस सेंटर जाने से कतराती हैं या फिर असहज महसूस करती हैं परन्तु इस प्रवृति में बदलाव भी आए हैं की 16-35 की उम्र की महिलाएं अपने स्वास्थय पर ध्यान देने हेतु जिम एवं फिटनेस केंद्र की और रुझान बढ़ा हैं , परन्तु फिर भी 35 से ऊपर की महिलाएं आज भी अपनी गृहस्ती को छोड़कर या फिर अपने कंधो पर परिवार को लेकर चलने में ही सीमित हैं उन्हें आज भी अपने स्वास्थ्य को देने के लिए वक़्त नहीं है और जिनके पास है वो यह सब करने से कतराती हैं। एक प्रख्यात शोध से पता चलता है की प्रत्येक 54.6 पुरुषो पर केवल 14.7 कार्यरत महिलाये ही है जो की हैरान कर देने वाले आंकड़े है। ऐसे शोध से यह स्पष्ट होता है की महिलाये घर में रहना और गृहस्थ जीवन जीने में खुद को सहज महसूस करती हैं। तो प्रश्न यह उठता है की उन महिलाओ के लिए क्याकिया जाये जो महिलाये घर से बाहर निकलने में हिचकिचाती हैं और अपने आप को स्वास्थ्य रखने के लिए भी घर से बाहर नहीं निकल सकती और अपनी योग्यताओ एवं कार्यक्षमता को अनदेखा कर रही है।
इसके अलावा यदि उन महिलाओ की बात की जाएं जो कामकाजी हैं या फिर दैनिक रूप से अपने रोज़गार पर जाती हैं, ऐसी तरह की महिलाएं भी दैनिक रूप से मानसिक एवं शारीरिक समस्याओ एवं परेशानियों से गुजर रही है। यह बात जगज़ाहिर है कि महिलायें बहुमुखी प्रतिभशाली होती ही है जिनमे घर के साथ साथ बाहरी दुनिया को सँभालने का जज्बा एवं शक्ति ब-खूभी होती है परन्तु यदि यही महिलाये जब अपने स्वास्थ्य या फिर फिट रहने पर ध्यान नहीं देंगीं तो ना केवल ये महिलाये अपितु ये समाज ही बीमार एवं पीड़ा से ग्रसित हो जाएगा, क्यूंकि ऐसा माना जाता है कि यदि आप महिला के स्वास्थ्य की जांच करते हैं तो आप समाज के स्वास्थ्य जांच करते है।
एक अच्छे स्वास्थ्य और फिटनेस को बनाये रखने के लिए एक नियमित दिनचर्या और उचित मार्गदर्शन या प्रेरणा आवश्यक है। देखा जाये तो उपर्युक्त सभी कारणों से भारत में व्यक्तिगत प्रशिक्षण की प्रवृति धीरे-धीरे उभर रही है, और ये सुविधा केवल सुविधा के साथ साथ सहज भी है इसलिए यह दिन-प्रतिदिन लोकप्रिय भी होता जा रहा है। इस प्रक्रिया में एक अनुभवी और प्रशिक्षित ट्रेनर आपके घर आकर आपका मार्गदर्शन करता है। करियर के रूप में व्यक्तिगत फिटनेस ट्रेनिंग भी दोनों महिलाओं एवं पुरुषो में सामान रूप से उभरता हुआ व्यवसाय या करियर का एक उपयुक्त मार्ग बन गया है। माना की अभी पुरुषो के पुरुषो मुक़ाबले महिलाओ के अनुपात में कमी है परन्तु शोध से पता चला है की वो दिन दूर नहीं जब यह अनुपात पुरुषों के लिए चुनौतीपूर्ण बन जायेगा। इस तरह अंततः भारत में महिला व्यक्तिगत फिटनेस ट्रेनरों की संख्या बढ़ती जा रही है, और यह बहुत अच्छी खबर है घर से न निकल पाने वाली महिलाओ के लिए ताकि वे भी अपने स्वास्थ्य पर पूर्ण रूप से ध्यान दे सकें एवं स्वयं के साथ साथ इस समाज को भी स्वास्थ्य रख सकें।
सुविधाजनक :आमतौर पर महिलाएं पुरुष ट्रेनर के मुक़ाबले महिला ट्रेनर के साथ ही सुरक्षित महसूस करती हैं, और जिस तरह से कई विभिन्न तरह के अपराध चाहे फिर वो यौन दुर्व्यवहार और उत्पीड़न के बढ़ते हुए मामले हों यह सब महिलाओ में कहीं ना कहीं असहजता और असुरक्षित होने की भावना को बढ़ावा देता है जिसकी वजह से महिलाएं बिलकुल भी सुरक्षित महसूस नहीं करती। यद्यपि फिटनेस इंडस्ट्री में कई ब्रांड्स एवं संगठन आपको पुरुष ट्रेनर की उपस्तिथि की उचित गारंटी एवं व्यव्हार की पुष्टि करते हैं फिर भी घर पर एक महिला ट्रेनर की उपस्तिथि ही उन्हें संतुष्ट करती है।
सहजता एवं सुगमता : महिला क्लाइंट्स एक महिला निजी ट्रेनर के साथ निजी जानकारियां बाँटने में सहज महसूस करती हैं, चाहे वो अपने मासिकचक्र के बारे में हो या किसी अन्य महिला समस्या के बारे में जानकारी लेना हो, वे महिला निजी ट्रेनर के साथ भावात्मक रूप से जुड़ाव महसूस करती हैं। जो एक अच्छी और अनुकूल कसरत की योजना की किर्यान्वित करने के लिए बहुत आवश्यक है।
गर्भवती महिलाओ के लिए मार्गदर्शक : महिला ट्रेनर ऐसी महिलाओ के लिए प्राथमिक चयन रहते हैं, जो की गर्भवती हैं, गर्भवस्था में ऐसी कई चीज़ें होती हैं जिनका एक महिला ट्रेनर बेहतर रूप से सुझाव दे सकती हैं। प्रायः परिवार के सदस्य भी अपनी पत्नियों , बेटियों तथा माताओ के लिए किस ट्रेनर को निजी ट्रेनर को नियुक्त करना पसंद करते हैं।
और भी कई ऐसे कारण है,जिसकी वजह से घरेलु महिलाये या महिलायें अक्सर महिला ट्रेनर को ही प्राथमिकता देना पसंद करती है। जिस तरह शिक्षा सबका अधिकार है उसी तरह खुद को स्वस्थ्य रखना भी सबका अधिकार ही है, फिर चाहे वो महिला हो या पुरुष। क्यूंकि फिट एवं स्वस्थ्य रहना किसी धर्म, जाति या फिर किसी लिंग तक सीमित नहीं है। महिलाओ को अपने स्वस्थ्य के लिए उचित दिशा में अब कदम उठाने ही चाहिए।
इसलिए अगली बार आपके किसी भी महिला मित्र या आपके खुद के घर में किसी महिला को महिला ट्रेनर को जरुरत हो या फिर जो जिम जाने में हिचकिचाते हो, उनके लिए आप घर पर ही निजी महिला ट्रेनर को नियुक्त कर एक महिला या फिर कह लीजिए समाज को स्वस्थ्य एवं फिट रख सकते हैं।
आशा करते हैं यह ब्लॉग आपको अवश्य ही पसंद आया होगा।