हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथाइरॉयडिज़्म में अंतर

हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथाइरॉयडिज़्म में अंतर

हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथाइरॉयडिज़्म में अंतर

हैलो दोस्तों, इंसटाफिटनेस फिर से लेकर आया है आपके लिए एक हेल्थ से जुड़ा ब्लॉग जिसे पढ़कर शायद आपके मन में उठ रहे सवालों को कहीं ना कहीं जवाब जरूर मिलेगा। आज का हमारा ब्लॉग है हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथाइरॉयडिज़्म के बीच के अंतर को जानना क्यूंकि ऐसा देखा गया है कि थाइरोइड के बारे में तो लोगों को आसानी से पता चल जाता है परन्तु इसी थाइरोइड के  2 अलग-अलग प्रकार हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथाइरॉयडिज़्म के बीच के अंतर को जान पाना या समझ पाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है तो आइये जानते हैं की क्या है अंतर और समझते हैं इसके बारे में। 

 हमने आपको इंसटाफिटनेस के ब्लॉग के माध्यम से ही थाइरोइड के बारे में पहले ही काफी चीज़ों के बारे में बातें की है। 

थाइरोइड ग्रंथि गले के निचेल हिस्से में उपस्थित बटरफ्लाई के आकार की होती है, थाइरोइड ग्रंथि आपके द्वारा खाये जाने वाले खाद्य पदार्थों से आयोडीन का उपयोग करती है एवं दो मुख्य हॉर्मोन बनाती है जिसे ट्राईआयोडोथायरोनिन (टी3) एवं थाइरॉक्सिन (टी4) और इन दोनों का संतुलन बना रहना बहुत ही आवश्यक है और इसके संतुलन में हाइपोथैलेमस ग्रंथि और पीयूष ग्रंथि की अहम भूमिका है।

हाइपरथाइरॉयडिज़्म : जब थाइरोइड ग्रंथि बहुत अधिक मात्रा में हॉर्मोन का स्त्राव करती है या कह लीजिए जरुरत से ज्यादा हॉर्मोन का निकलना होता है तब यह समस्या जिसे हाइपरथाइरॉयडिज़्म कहते हैं देखने में आती है।  यह शरीर के लिए आवश्यक हॉर्मोन टी-3, टी-4 का निर्माण जरुरत से ज्यादा करता है , लेकिन शरीर में टीएसएच(थाइरोइड स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन) का स्तर घट जाता है।

लक्षण: थाइरॉइड हार्मोन शरीर में विभिन्न प्रकार की गति के नियंत्रक के रूप में काम करता है। यदि बहुत ज्यादा थाइरॉइड हार्मोन हो, तो शरीर के अलग-अलग हिस्सों में कार्य करने की क्षमता में तेजी आने लगती है। इसलिए हैरानी नहीं होनी चाहिए कि अधिक हॉर्मोन स्त्राव के लक्षणों में शामिल घबराहट, चिड़चिड़ापन, पसीना में वृद्धि, दिल का जोरों से धड़कना, हाथ का कांपना, चिंता, सोने में तकलीफ होना, त्वचा का पतला होना, नाजुक बाल, खासकर ऊपरी बाहों और जांघों की मांसपेशियों में कमजोरी आना, शामिल हैं। आंत की गड़बड़ी बहुत लगातार होती रह सकती है, लेकिन दस्त या डायरिया असामान्य है।

क्या खाएं : आप यदि हाइपरथायरॉयडिज्म से ग्रसित हैं तो आपको आपने आहार में कुछ खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए जैसे कि 

 स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी,और रास्पबेरी ,क्रुसिफेरौस वेजिज़, ओमेगा-3 , प्रोटीनयुक्त आहार

क्या ना खाएं : हाइपरथायरॉयडिज्म में आपको इन चीज़ो को नहीं खाना चाहिए। 

आयोडीन युक्त नमक,समुद्री फूड्स,आर्गेनिक दही ,कैफीन, शराब , रेड मीट , हाइड्रोजिनिकृत तेल एवं वसा

 

हाइपोथायरायडिज्म : इस में थॉयरायड ग्रंथि धीमी गति से काम करने लगती है अर्थात साधारण भाषा में समझा जाए तो शरीर के विभिन्न कार्यों की कार्यक्षमता धीरे हो जाती है और यह शरीर के लिए आवश्यक हॉर्मोन टी-3, टी-4 का निर्माण नहीं कर पाता, लेकिन शरीर में टीएसएच(थाइरोइड स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन )  का स्तर बढ जाता है।

लक्षण : इसके प्रमुख लक्ष्णों में से एक है एकाग्रता में निरंतर कमी, चिडचिडापन और उदासी, सर्दी में भी पसीना आना, थकान एवं अनिद्रा, तेजी से वजन का बढ़ना , पीरियड में अनियमितता, कब्ज, रूखी त्वचा एवं बालों का गिरना, मिसकैरेज होना , कोलेस्ट्रॉल बढाना, हृदय की कार्य क्षमता में कमी, शरीर और चेहरे पर सूजन  यह सब इसके लक्ष्णों में से हैं। 

क्या खाएं : आप यदि हाइपोथायरॉयडिज्म से ग्रसित हैं तो आपको आपने आहार में कुछ खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए जैसे कि 

आयोडीनयुक्त नमक का सेवन, सेलेनियम, एवं जिंक युक्त खाद्य एवं पेय पदार्थ का सेवन करें। 

जैसे : ऑयस्टर्स, चिकन, अंडे, दूध, ओटमील  आदि 

क्या ना खाएं : हाइपोथायरॉयडिज्म में आपको इन चीज़ो को नहीं खाना चाहिए। 

 जंक फूड्स, ऐसे खाद्य पदार्थ जिनमें सोया हो जैसे सोया दूध, सोया सॉस, टोफ़ू यानि सोया पनीर आदि।

तो दोस्तों उम्मीद करते हैं की आपको हर बार की तरह यह इंसटाफिटनेस का ब्लॉग जरूर पसंद आया होगा। उम्मीद करते हैं आपको हाइपरथायरॉयडिज्म एवं हाइपोथायरॉयडिज्म में अंतर समझ आया होगा एवं इसके लक्षण तथा किन चीज़ो का सेवन करके और किन चीज़ो का सेवन न करके आप थाइरोइड से जुड़ी समस्या से बच सकते हैं इसकी भी जानकरी संक्षिप्त में मिली होगी।  

आशा करते हैं की आप इसी तरह हमारे इस ब्लॉग को अपना कीमती समय देकर कुछ हेल्थ संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी जरूर पाते होंगे, इसी तरह अपना प्यार इंसटाफिटनेस के लिए रखिए और इंसटाफिटनेस इसी तरह आपका ध्यान रखता रहेगा। 

धन्यवाद

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